जब दुनिया के अधिकांश हिस्सों में लोग हल्की ठंड का आनंद ले रहे हैं, तब रूस के याकूतिया में लोग अस्तित्व की जंग लड़ रहे हैं। यहाँ पारा इतना गिर चुका है कि हवा में सांस लेना भी मुश्किल हो रहा है। मौसम विभाग की मानें तो यह ठंड अभी और बढ़ने वाली है और तापमान -60°C के आंकड़े को भी छू सकता है।
टिकसी गांव: घरों में कैद हुए लोग
सबसे भयानक स्थिति तटीय गांव टिकसी (Tiksi) की है। यहाँ पिछले तीन दिनों से लगातार शक्तिशाली बर्फीला तूफान (Blizzard) चल रहा है। तेज हवाओं के साथ गिरती बर्फ ने दृश्यता को शून्य कर दिया है। हालात इतने विकट हैं कि बर्फ की मोटी परतें लोगों के घरों के दरवाजों और खिड़कियों तक जमा हो गई हैं, जिससे लोग अपने ही घरों के भीतर "कैद" हो गए हैं। सड़कों का नामोनिशान मिट चुका है और गाड़ियां बर्फ के टीलों में तब्दील हो गई हैं।
थम गया जनजीवन: स्कूल और किंडरगार्टन बंद
भीषण ठंड और तूफान को देखते हुए प्रशासन ने 'रेड अलर्ट' जारी किया है। बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता देते हुए सभी स्कूल और किंडरगार्टन अनिश्चितकाल के लिए बंद कर दिए गए हैं। प्रशासन ने सख्त हिदायत दी है कि जब तक बहुत जरूरी न हो, कोई भी घर से बाहर न निकले। इतने कम तापमान में त्वचा का कुछ ही मिनटों के लिए खुला रहना भी 'फ्रॉस्टबाइट' (अंगों का जम जाना) का कारण बन सकता है।
याकूतिया: जहाँ जम जाता है पारा
याकूतिया को दुनिया का सबसे ठंडा बसा हुआ क्षेत्र माना जाता है। यहाँ का ओयमयाकोन गांव पहले से ही "ठंड की धुरी" के रूप में विख्यात है। हालाँकि यहाँ के लोग -40°C में रहने के आदी हैं, लेकिन जब पारा -55°C के नीचे चला जाता है, तो मशीनें और धातुएं भी काम करना बंद कर देती हैं।
-
बिजली और हीटिंग: इस ठंड में सबसे बड़ी चुनौती पावर ग्रिड और हीटिंग सिस्टम को चालू रखना है। यदि हीटिंग फेल होती है, तो यह जानलेवा साबित हो सकता है।
-
आपातकालीन सेवाएं: बचाव दल और बर्फ हटाने वाली मशीनें लगातार काम कर रही हैं, लेकिन बर्फीले तूफान की वजह से रास्ते साफ करना लगभग नामुमकिन हो रहा है।
भविष्य की चेतावनी
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार, आर्कटिक की ठंडी हवाओं के कारण यह स्थिति पैदा हुई है। आने वाले कुछ दिन याकूतिया के निवासियों के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण होने वाले हैं। यह न केवल एक मौसमी घटना है, बल्कि यह याद दिलाती है कि पृथ्वी के कुछ हिस्सों में जीवन कितना कठिन और कठोर हो सकता है।